ये बाप-बेटे को क्या Kapil Dev और Dhoni से कोई प्रॉब्लम है?




आपने कई बार सुना होगा कि Yuvraj Singh (युवराज सिंह) के पिता Yograj Singh (योगराज सिंह) कुछ इण्डियन क्रिकेट (Indian Cricket) के बड़े सितारों के बारे में अनाप शनाप बोलते रहते हैं। ख़ासकर वो MS Dhoni (महेंद्र सिंह धोनी) और Kapil Dev (कपिल देव) पर सबसे ज़्यादा खुन्दक निकलते हैं। धोनी पर इसलिए क्योंकि उनको लगता है कि उसकी वजह से उनके बेटे युवराज सिंह का करियर ख़त्म हुआ। कपिल देव पर इसलिए क्योंकि उनको लगता है कपिल के रहते योगराज को ख़ुद टीम से निकाला गया। योगराज कहते है कि समय का फ़ैर देखो की कपिल के पास सिर्फ़ एक Trophy (ट्रॉफी) है और युवराज के पास 13। आज दुनिया कपिल पर थूकती है। यानी धोनी और कपिल पर खुन्दक की वजह ये कि इनके रहते इनके बेटे और उनका ख़ुद का करियर ख़राब हुआ। यानी ये पर्सनालिटी क्लैश था। क्रिकेट (Cricket) से उसका कोई भी लेना देना नहीं था। पर क्या वाक़ई निजी रंजिश की वजह से कपिल और धोनी ने योगराज और युवराज का करियर ख़राब किया? क्या उनकी क्रिकेट का इससे कोई लेना देना नहीं है। पहले कपिल की बात कर लेते हैं। कपिल और योगराज दोनों एक ही अकैडमी में खेलते थे। योगराज की गति शायद कपिल से ज़्यादा थी। पर कपिल ने जल्दी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (international cricket) में अपना नाम किया । 1981 के न्यू ज़ीलैंड (New Zealand) के एक दौरे पर योगराज को टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा मिला। उस टेस्ट में योगराज ने सिर्फ़ एक विकेट लिया। उसके बाद उन्हें इंडिया के लिये खेलने का मौक़ा नहीं मिला। 1981 में तो ख़ैर कप्तान Sunil Gavaskar (सुनील गावस्कर) थे, पर उसके बाद कपिल काफ़ी समय तक कप्तान रहे। योगराज को नाराज़गी है का कपिल ने उनके करियर को नुक़सान पहुँचाया। भाई, कैसे, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में तो कपिल ने आपको नहीं रोका ना। उसमें ही आपने क्या तीर मार लिए थे। 30 मैचों में 66 विकेट। आप ही को लेकर Dennis Lillee (डेनिस लिली) ने एक बार कहा था ना की पहले तोंद कम करो फिर फ़ास्ट बोलिंग करो। अब योगराज के बेटे युवराज की बात। निस्संदेह युवराज वाइट बॉल क्रिकेट के अलग ही क्रिकेटर थे। 2011 का वर्ल्ड कप (World Cup) जीतने में भी युवराज की अहम भूमिका थी। कैंसर से जूझ रहे थे — योगराज कहते हैं कि ऐसे खिलाड़ी को भारत रत्न मिलना चाहिए था। युवराज धोनी से काफ़ी सीनियर थे। पर कप्तान धोनी बने। क्रिकेटराशि (Cricketrashi) से में जो आपके सामने बोलता हूँ, यानी Ashish Shukla (आशीष शुक्‍ला), उसने युवराज को क़रीब से उनके पहले दिन से देखा है। उनकी पहली पारी से। युवराज में टैलेंट बहुत था, पर उनकी कंसिस्टेंसी, यानी  हर पारी में अच्छा प्रदर्शन करना नहीं होता था। एक बार श्री लंका (Sri Lanka) के दौरे पर कोच Gary Kirsten (गैरी किर्स्टन) ने उनसे कहा था कि धोनी का टैलेंट युवराज तुम्हारे मुक़ाबले नहीं है। पर धोनी अपनी क्रिकेट पर जितनी मेहनत करता है, उतनी तुम नहीं करते। इसलिए धोनी तुमसे आगे निकल गया है। सच्चाई ये है कि युवराज कितने भी बड़े खिलाड़ी हों, धोनी के बराबर के नहीं हैं। और कपिल के सामने तो योगराज कहीं ठहरते भी नहीं। अगर दोनों की उपयोईगता रहती तो कप्तान की हैसियत से कपिल और धोनी बाप बेटे को टीम से क्यों अलग करते?